ABHIJIT RANJAN

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सुबह की चाय हैं

सूरज की अंगड़ाई से
संसार में रौशनी फैली हैं

नींद से जागृत हो रही हैं
ये दुनियां की बेला हैं

नया दिन हैं
नया सवेरा हैं
बंद आंखो में अंधेरा हैं

आती हैं खुस्बू गुलाब की
बहती हैं हवा मिजाज़ की

लिपट रहा हैं चादर में सूरज
बादलों के पीछे हैं सूरज

काले बादल में
नीले आकाश में
अग्नि ज्वाला प्रज्वलित होगी
सूरज के अभिशाप में

बादल से बरस रही हैं बूंदे
कायम हैं रौशनी
बाकी हैं सूरज की उम्मीदें

सुबह की चाय गर्म हैं
सूरज की किरणें आयेंगी
संसार में रौशनी
फिर से चमकेगी।।

    अभिजीत रंजन


   9
2 Comments

Aliya khan

21-Jul-2021 07:45 AM

Nice👏👏👏

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🤫

19-Jul-2021 08:53 PM

गुड.....

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